यहाँ संस्कृत चलता है | जी हाँ, हम सच कह रहे हैं| आज के इस दौड़ में जहाँ सभी अंग्रेजी जैसी भाषा के पीछे भाग रहे हैं वहीँ हमारे देश में कुछ जगह ऐसे भी हैं जहा सिर्फ संस्कृत बोला, पढ़ा और लिखा जाता है |
ये वो गाँव हैं जिन्हीने हमारी भारतीय संस्कृति उर विरासत को सहेज कर रखा है | यहाँ लोग संस्कृत को एपीआई दिनचर्या में शामिल कर चुके हैं और दुनिया की सबसे पुराणी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं | आइये जानते हैं उन गांवों के बारे में |
झिरी , मध्य प्रदेश
भारत के सबसे साफ़ शहर इंदौर से 150 किलोमीटर की दुरी पर बसा यह छोटा सा गाँव संस्कृत भाषा का इस्तेमाल करता है | यहाँ के लोगों ने स्थानीय भाषा मालवी को छोड़ कर संस्कृत को अपनाया है और भारतीय संस्कृति को सहेज कर रखा है |
मत्तुर , कर्नाटक
बंगलौर से 300 किलोमीटर की दुरी पर शिमोगा डिस्ट्रिक्ट में बसा यह गाँव आज भी पूरी तरह से संस्कृतमय है | यहाँ की स्थानीय भाषा ही संस्कृत है ,और इन लोगों ने आज के इस आधुनिकीरण के दौड़ में भी अपनी संस्कृति और संस्कृत को बचाए रखा है | आप यहाँ खड़े हो कर लोगों को संस्कृत में बात करते हुए आसानी से सुन सकते हैं |
होशाल्ली , कर्नाटक
इस गाँव की मुख्य भाषा संस्कृत है | यहाँ के लोगों ने इस भाषा को बचाए रखा है गमका कला को बचाए रख सके | गमका कला इस क्षेत्र की पहचान है |
ससाना , ओड़िशा
इस गाँव में हर घर में संस्कृत के पंडित और विद्वान् मिल जायेंगे| दरअसल यहाँ पर सरकार द्वारा संस्कृत विद्यालय चलाया जाता है , इसलिए यहाँ पर संस्कृत के शिखाकों की जरुरत पड़ती है | इस गाँव में अधिकतर उसी संस्कृत विद्यालय में पढ़ाते हैं |
Term: Indian villages speak and use Sanskrit language at present