life of hindus in pakistan

“पाकिस्तान में हिन्दू” यह वाक्या सुनकर ही जैसे आपको लगेगा की बहुत सारे सापों के बीच कोई इंसान फस गया हो | और आपको ऐसा लगे भी क्यों ना, अभी हल -फ़िलहाल लगातार वहां के हिन्दुओं पे जो आक्रमण हो रहे हैं उस से तो यह जग जाहिर हो चूका है की  पाकिस्तान मुसलमानों के अलावा किसी भी धर्मं के लोगों के रहने के अनुकूल नही है |

भारत – पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तान में कुल 15% हिन्दू थे लेकिन 1998 में हुए एक सर्वे में यह 15 फीसद से घटकर 1.6 फीसद रह गई | यह सर्वे ह्यूमन राइट्स के अंतर्गत हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने कराइ थी | सिंध प्रान्त जो कि पाकिस्तान का सबसे ज्यादा  हिन्दू जनसँख्या वाला प्रान्त है और यहाँ के हिन्दुओं के हालात बाकि के पाकिस्तानी हिन्दुओं से बेहतर मानी जाती है | परन्तु पिछले कुछ समय से सिंध प्रान्त के हालात बहुत बिगड़ चुके हैं |

सुनिए एक पाकिस्तानी हिन्दू की जुबानी जिसकी बीवी को अगवा और बेटी का बलात्कार किया गया

मैं एक हिन्दू हूँ जो की सिंध (पाकिस्तान) में रहता था | मैं वहां अपनी पत्नी, बेटी और एक बेटे के साथ रहता था | वर्ष 2005 का था और सब कुछ ठीक ठाक चक रहा था  और हमें एक पाकिस्तानी मुस्लिम शादी में आने का न्योता मिला और हमलोग बिलकुल भी जाना नही चाहते थे परन्तु वो हमारे करीब दोस्त थे तो जाना पड़ा | हिन्दू होने के कारण उस समारोह में हमसे कोई बातें भी नही कर रहा था, किसी तरह से हम खाना खाकर वहां से लौटने लगे और निचे बेसमेंट में आते समय मेरे सर पर पीछे से किसी ने डंडे से वार किया और मैं उसका चेहरा भी नही देख पाया और वहीं बेहोश हो गया | कुछ समय बाद जब मुझे होश आया तो मैं किसी सुनसान जगह पे अपने आप को पाया और मेरे  पूरे  बदन में दर्द था मानो किसी ने बहुत मारा हो | किसी तरह से मैं हाईवे तक पहुंचा और लिफ्ट लेकर घर पहुंचा, तो पाया की मेरी बीवी का अपहरण हो चूका है | मैंने बहुत ढूंढा पर वो नही मिली, फिर मैं पुलिस से मदद मांगने गया तो उन्होंने मेरी रिपोर्ट तक नही लिखी |

बहुत कोशिशों के बावजूद जब वो नही मिली तब मैंने किसी तरह से अपने आपको और बच्चों को संभाला और फिर जिन्दगी चलने लगी | वर्ष 2011 का था, मेरी बेटी हाई स्कूल में थी और बेटा कॉलेज में था | मैं अपनी बेटी को रोज़ ट्यूशन पहुँचाने और लाने  के लिए जाता था क्यूंकि वहां हिन्दू लड़कियां आम  तौर से किडनैप कर ली जाती थी | परन्तु एक दिन मैं जब मेरी बेटी को लाने गया तो वो वहां मिली नही तो मने उसके दोस्तों से पूछा तो पता चला कि वो पहले ही निकल चुकी है और वो घर भी नही पहुंची थी | फिर मैं पुलिस के पास गया तो उन्होंने मदद के बजाय मेरी ही बेटी को बदचलन बताने लगे तो मैं वहां से लौट आया और जितना हो सकता था उतना मैंने अपनी बेटी को ढूंढा और फिर एक ऐसा समय आया जब मेरी हिम्मत टूट गई | मेरा बेटा, जो कि कराची के एक कॉलेज में पढ़ रहा था तो मैंने उसे बताया तो फ़ौरन घर लौट आया और मैं पहली बार एक लाचार बाप की तरह अपने बेटे के सामने रोने लगा | किसी तरह से हम एक – दुसरे को सँभालते हुए कुछ दिन बिताये |

एक दिन मैं अपने घर के बालकनी में खड़ा था तो मैंने देखा की मेरी बेटी आ रही थी तो मैं बहुत खुश हुआ तभी मेरी मेरी नज़र उसके फटे कपडे पर पड़े और मानो जैसे मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई हो | फिर मैंने परिवार सहित पाकिस्तान छोड़ने का निर्णय किया और भारतीय वीजा के लिए आवेदन किया लेकिन वो आवेदन खारिज कर दिया गया क्युकि उस समय बॉर्डर पे हालात कुछ ठीक नही थे | फिर हम पुरे परिवार सहीत पहले सऊदी अरबिया गए और फिर वहां से भारत आ गए |

और आज हम सब यहाँ आकर बहुत खुश हैं और आशा करते हैं कि हमें कभी भी पाकिस्तान जाने की नौबत ना आये |

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