अभी हाल ही में कश्मीर के एक मस्जिद के बाहर एक डीएसपी जो कि जम्मू कश्मीर पुलिस में थे जिनका नाम मोहम्मद अयूब पंडित, को वहां के रहने वाले मुसलमानों ने पीट-पीट कर मार डाला है| तो एक बहुत ही आश्चर्यजनक या फिर यु कह लें की कि एक उत्सुक कर देने वाला मुद्दा सामने आया है कि एक आदमी जिसका नाम मोहम्मद भी है और उसके नाम के अंत में पंडित भी लगा है|
यह कैसे मुमकिन हो सकता है, मैं भी जब एक लेख पढ़ा और यह खबर मेरे संज्ञान में आया तो मैंने भी सोचा कि एक आदमी कैसे हिंदू और मुस्लिम दोनों हो सकता है तो आपको हम बता दें कि मैंने इसके बारे में जब पड़ताल किया तो यह सामने आया कि ऐसे एक दो नहीं पूरे 50,000 लोग कश्मीर में रहते हैं जिनके नाम में मुसलमान और पंडित दोनों लगा होता है| आप यह जरुर जानना चाहेंगे या हर कोई यह जानना चाहेगा कि आखिर इनके नाम में ऐसा क्यों है कि मोहम्मद और पंडित दोनों लगा हुआ है, तो आपको यह बता देता हूं कि यह वह लोग हैं जो पहले कश्मीर में रहते थे जो कि सिर्फ हिंदू ही वहां रहते थे और जब वहां मुसलमानों का बोलबाला हुआ और यह लोग मुस्लिम संप्रदाय को अपनाने के लिए बाध्य हो गए थे तो इन्होंने मुसलमान के साथ-साथ अपने नाम के अंत में पंडित लगाकर रखा|
यह मामला 1990 के आसपास की है जब यह ऐसा करने पर मजबूर हो गए और मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं को कश्मीर से बाहर भगाया जा रहा था| मोहम्मद दिन फॉक जो कि एक मशहूर लेखक हैं उन्होंने अपने किताब में एक चैप्टर लिखा है पंडित शेख के नाम से और इसमें उन्होंने यही बताया है की कुछ ऐसे लोग थे जो कि ब्राह्मण थे और उनका सिर्फ काम पढ़ना और पढ़ाना था यानी कि ज्ञान देना तो उन लोगों ने जब मुस्लिम संप्रदाय को स्वीकार किया तो वह लोग मुसलमान के साथ-साथ शेख भी कहलाते हैं सम्मान के तौर पर इन्हें ख्वाजा की उपाधि दी जाती है ऐसे मुसलमान पंडित आप को अधिकतम ग्रामीण इलाकों में ही देखने मिलेंगे, और जगहों का तो पता नहीं पर कश्मीर में जो लोग पंडित थे और मुसलमान धर्म को अपनाया था तो इन्हें मुसलमानों में भी एक ऊंचा वर्ग दिया गया है, और यह अपने नाम के अंत में पंडित लगाते रहे हैं|